For Quiz Preparation for TGES ,Go to General Knowledge Section

Monday, July 28

Life Story of APJ Abdul Kalaam | Essay on APJ Abdul Kalam

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवन यात्रा



1. शुरुआती जीवन: मिट्टी से सितारों तक


15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारत के एक छोटे से गांव रमेश्वरम (तमिलनाडु) में एक गरीब मुस्लिम परिवार में जन्म हुआ एक ऐसे बच्चे का, जिसने आगे चलकर पूरे भारत को गर्वित किया। उनका पूरा नाम था:

"अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम"।


उनके पिता "जैनुलाब्दीन" नाव चलाने का काम करते थे और धार्मिक रूप से बेहद श्रद्धालु थे। मां "आशियम्मा" एक घरेलू महिला थीं जो बहुत ही दयालु और सरल स्वभाव की थीं। कलाम का बचपन भले ही आर्थिक रूप से तंग था, लेकिन उसमें प्यार, अनुशासन और उच्च संस्कारों की कोई कमी नहीं थी।


छोटे अब्दुल को बचपन से ही विज्ञान, गणित और आसमान में उड़ते पक्षियों को देखने का बेहद शौक था। वे घंटों समुद्र किनारे बैठकर पक्षियों की उड़ान को निहारते रहते और सोचते कि एक दिन वो भी किसी उड़ान का हिस्सा बनेंगे।


2. गरीबी में पला, फिर भी सपने बड़े


उनके परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी। स्कूली फीस भरना मुश्किल होता था, इसलिए कलाम ने स्कूल के बाद अख़बार बाँटना शुरू किया। यह काम उन्होंने अपने भाई के साथ किया और इससे जो थोड़े पैसे मिलते थे, उससे किताबें खरीदी जाती थीं।


कलाम ने बचपन में ही यह समझ लिया था कि सपनों को सच करने के लिए मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास सबसे ज़रूरी हैं। वे स्कूल से आने के बाद घंटों लाइब्रेरी में बैठते, विज्ञान की किताबें पढ़ते और खुद से सवाल पूछते।


उनके एक अध्यापक श्रीवसुंदरम अय्यर ने उन्हें भौतिकी और उड़ान के सिद्धांतों से परिचित कराया। एक दिन उन्होंने पक्षियों की उड़ान के पीछे का विज्ञान समझाया, जिससे कलाम बहुत प्रभावित हुए। वहीं से उनके जीवन का रुख बदल गया।


3. कॉलेज और संघर्षों की ऊँचाई


स्कूल के बाद उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिची से भौतिकी में स्नातक किया और फिर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया।


MIT की फीस बहुत ज्यादा थी, और कलाम के पास पैसे नहीं थे। उनकी बहन ने अपने गहने गिरवी रखकर फीस भरवाई। इस बलिदान ने कलाम को जीवन भर प्रेरणा दी। MIT में पढ़ाई के दौरान एक प्रोजेक्ट में उन्होंने एक एयरक्राफ्ट डिज़ाइन किया, जिससे उनके प्रोफेसर इतने प्रभावित हुए कि उन्हें DRDO (Defence Research and Development Organisation) में नौकरी मिल गई।


4. वैज्ञानिक के रूप में उड़ान


DRDO में काम करते हुए उन्हें संतोष नहीं मिल रहा था। उनकी असली चाहत थी — अंतरिक्ष। तभी उन्हें ISRO (Indian Space Research Organisation) में काम करने का अवसर मिला। वहाँ उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-III के विकास का नेतृत्व किया।


SLV-III के पहले प्रयास में असफलता मिली। मीडिया और देशभर से आलोचना हुई। लेकिन उनके डायरेक्टर सतीश धवन ने पूरा दोष खुद लिया और कहा, “जब सफलता मिलेगी, तब मीडिया के सामने कलाम होंगे।”


अगले प्रयास में, 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया गया। यह दिन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में मील का पत्थर बन गया — और अब्दुल कलाम पूरे देश के हीरो।


5. मिसाइल मैन की पहचान


ISRO में सफलता के बाद उन्होंने DRDO में मिसाइल टेक्नोलॉजी पर काम शुरू किया। उनके नेतृत्व में “इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP)” की शुरुआत हुई। इस कार्यक्रम के तहत भारत को मिली:


अग्नि (बैलिस्टिक मिसाइल)


प्रथ्वी (टैक्टिकल मिसाइल)


त्रिशूल (एंटी एयर मिसाइल)


आकाश (मध्यम दूरी मिसाइल)



इन्हीं उपलब्धियों के कारण उन्हें "मिसाइल मैन ऑफ इंडिया" कहा गया।


6. भारत के परमाणु परीक्षण और कलाम की भूमिका


1998 में पोखरण में भारत ने परमाणु परीक्षण किया। डॉ. कलाम ने वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत की सामरिक शक्ति को एक नया रूप दिया और साबित किया कि भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर हो सकता है।


7. राष्ट्रपति बनने की प्रेरक यात्रा


2002 में उन्हें भारत का 11वां राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। वे पहले वैज्ञानिक थे जो सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुँचे। उनका कार्यकाल 2002 से 2007 तक चला। उन्हें “जनता का राष्ट्रपति” कहा गया क्योंकि वे आम लोगों, विशेषकर बच्चों और युवाओं के दिल में बसते थे।


उनकी सादगी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन में रहते हुए कोई विशेष सुख-सुविधा नहीं ली। उन्होंने कभी वेतन का पूरा हिस्सा नहीं लिया और अपना अधिकांश पैसा बच्चों की शिक्षा और रिसर्च पर खर्च किया।


8. बच्चों से खास प्रेम


डॉ. कलाम मानते थे कि भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है। वे कहते थे:


"Dream, dream, dream. Dreams transform into thoughts and thoughts result in action."




वह देशभर के स्कूल-कॉलेजों में जाते थे, छात्रों से संवाद करते थे, उन्हें सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा देते थे। उन्होंने कई किताबें लिखीं जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं:


“Wings of Fire” (जीवनी)


“Ignited Minds”


“India 2020”


“My Journey”



इन किताबों में उन्होंने जीवन के अनुभव, संघर्षों और सपनों के बारे में सच्चाई से लिखा है।


9. आख़िरी साँस तक सेवा में समर्पित


27 जुलाई 2015 को, जब वे IIM शिलॉन्ग में “Creating a Livable Planet” पर व्याख्यान दे रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्होंने वहीं आखिरी सांस ली — मंच पर, अपने छात्रों के सामने, अपनी प्रेरणादायक बातों के बीच।


उनका निधन पूरे देश के लिए गहरा झटका था। लेकिन वे एक ऐसी विरासत छोड़ गए जो कभी खत्म नहीं होगी।



---


10. डॉ. कलाम से जीवन की सीख


गरीबी कोई रुकावट नहीं, अगर हौसले बुलंद हों।


सपने देखो और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करो।


असफलता एक सबक है, हार नहीं।


नेतृत्व वही जो असफलता अपने ऊपर ले और सफलता टीम को दे।


सच्ची शिक्षा वो है जो सोचने, समझने और कार्य करने की शक्ति दे।




---


 निष्कर्ष (Conclusion):


डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की कहानी एक छोटे गांव के लड़के से राष्ट्रपति बनने तक की नहीं है — ये कहानी है आत्मबल की, संघर्ष की, सरलता की, और सबसे बढ़कर एक ऐसे सपने की जो सिर्फ उनका नहीं था, पूरा भारत का था।


उनका जीवन यह बताता है कि:

“अगर आप ठान लें, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।”


No comments:
Write Comments

Please ask any question about gk related

Total Pageviews

Popular Posts

© 2014 SSC GK.in . Designed by Bloggertheme9 | Distributed By Gooyaabi Templates
Powered by Blogger.